शय हरेक दिलरुबा सी, मगर किसी हाशिये पे है,
नज़र दिल की मजबूरन, अब किसी आशिये पे है ।
' रवीन्द्र '
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शय हरेक दिलरुबा सी, मगर किसी हाशिये पे है,
नज़र दिल की मजबूरन, अब किसी आशिये पे है ।
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