गम भुलाने के लिये खूबसूरत, इक वज़ह मिल गयी,
समझ-ए-शायरी क्या मिली, मुझे मन्नत मिल गयी ।
रवीन्द्र कुमार गोयल
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गम भुलाने के लिये खूबसूरत, इक वज़ह मिल गयी,
समझ-ए-शायरी क्या मिली, मुझे मन्नत मिल गयी ।
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