मत चलना पदचिन्हों पर ,
मिल जाये तुझे ग़र पगवाला ।
उसके कन्धों पर चढ़ कर पाना तू ,
मंजिल उसकी बन मतवाला ।
मंजिल अपनी पानी जिसको,
पद चिन्हों को वो ढूँढेगा ।
कर कर्त्तव्य कर्म पाएगा मंजिल अपनी ,
काल क्रम का भेद मिट जायेगा ।
होगा सफल फिर जीवन में जब,
मुड़ कर पीछे पगडंडी पर देखेगा ।
सभी अनुकरणीयों के पद चिन्हों को ,
अपने पद चिन्हों के संग देखेगा ।
रवीन्द्र कुमार गोयल
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