Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मायने

 

करीब हो मेरी, यादों की अफ़ज़ाई में,
मिलन के बीच, जन्मों के फ़ासले हैं ।

 

मुनासिब ना कोशिश, पास आने की,
दूर से ही निभते, मुहब्बत के मामले हैं ।

 

गुपचुप आना, अमावस की रातों में,
कोई देख ना सके, तू मेरे सामने है ।

 

तन्हाई का समन्दर, हर एक लम्हा,
कितने लम्हें, हम्हें तन्हा गुज़ारने हैं ।

 

याद ही सहारा , उड़ती ज़िन्दगी का,
पँख हो तभी तो, परिन्दों के मायने हैं ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

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