उम्र भर की दुआ है ये,
न दिखे सब जगह है ये,
उम्र का तो हिसाब नहीं,
रहे ता- उम्र ख़राब नहीं,
परेशानी इसे न समझ लीजै,
जुबां इसकी भी समझ लीजै,
आसां नहीं ये इश्क मिलना,
मेहर खुदा की समझ लीजै ।
' रवीन्द्र '
Powered by Froala Editor
उम्र भर की दुआ है ये,
न दिखे सब जगह है ये,
उम्र का तो हिसाब नहीं,
रहे ता- उम्र ख़राब नहीं,
परेशानी इसे न समझ लीजै,
जुबां इसकी भी समझ लीजै,
आसां नहीं ये इश्क मिलना,
मेहर खुदा की समझ लीजै ।
' रवीन्द्र '
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY