Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मेहरबान

 

जब आप हो साथ,
ये कम होता है,
मेरे कांधे पे तेरा हाथ
ये कम होता है ।

 

न हो सागर में लहर,
ये कम होता है,
हो इस चेहरे पे मुस्कान,
ये कम होता है ।

 

मैं आगे तू न परेशान,
ये कम होता है,
मेरे पीछे खड़ी हो शान,
ये कम होता है ।

 

सूरज न पिये जमीं की नमी,
ये कम होता है,
लबों की हँसी कद से महान,
ये कम होता है ।

 

कल्मष शमन संग पुण्यभान,
ये कम होता है,
दूरियाँ दिलों की न फ़ासले दरम्यान
ये कम होता है ।

 

झुक जाने से न बढ़े मान
ये कम होता है ।
आख़री साँस पे हो तेरा नाम
ये कम होता है ।

 

खुशी जुगनू सी है मेहरबान,
ये कम होता है,
सुदामा के घर आ जायें भगवान,
ये कम होता है ।

 

 

 

रवीन्द्र कुमार गोयल

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ