सुना है किसी ने कहा है यहाँ,
मिलता नहीं है मुक़म्मल जहां,
कोई जा कर अब कह दे उन्हें,
देख ले माँ के कदमों के निशां ।
' रवीन्द्र '
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सुना है किसी ने कहा है यहाँ,
मिलता नहीं है मुक़म्मल जहां,
कोई जा कर अब कह दे उन्हें,
देख ले माँ के कदमों के निशां ।
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