अासमां में नमी,
बरसने में कमी,
निगाहें है जमी,
उम्मीदें है बड़ी ।
मुंतज़िर है अभी,
किसान की जमीं,
बरसने को पड़ी,
अांखों की नमी ।
' रवींद्र '
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अासमां में नमी,
बरसने में कमी,
निगाहें है जमी,
उम्मीदें है बड़ी ।
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किसान की जमीं,
बरसने को पड़ी,
अांखों की नमी ।
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