Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नमी

 

 

अासमां में नमी,
बरसने में कमी,
निगाहें है जमी,
उम्मीदें है बड़ी ।

 

मुंतज़िर है अभी,
किसान की जमीं,
बरसने को पड़ी,
अांखों की नमी ।

 

 

' रवींद्र '

 


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