तेरी रहमत की, क्या हो मिसाल यहॉँ,
रफ़ीक बन गयी है, दुनिया मेरे लिये ।
मिला क्या करके, नज़र अंदाज़ तुझे,
तोहमद और तेरी, रुसवाई मेरे लिये ।
अजीज़ मेरे दिल के, और करीब आ,
कोई और नहीं यहाँ, सहारा मेरे लिये ।
बात तबस्सुम की, आई तेरे होठों पे,
बरसा सावन लिये, खुशियाँ मेरे लिये ।
नसीब तुझसे, अब और मैं क्या माँगू,
रक़ीब भी कर रहा है, दुआ मेरे लिये ।
' रवीन्द्र '
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