अहसास का वीराना, हथियारों की मस्ती है,
ज़िन्दगी तो ख़ौफ़ हुई , मौत बहुत सस्ती है,
देख जनाज़े बच्चों के, हया शर्म से मरती है,
खुदा तेरी ख़िदमत में, काफिरों की बस्ती है ।
' रवीन्द्र '
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अहसास का वीराना, हथियारों की मस्ती है,
ज़िन्दगी तो ख़ौफ़ हुई , मौत बहुत सस्ती है,
देख जनाज़े बच्चों के, हया शर्म से मरती है,
खुदा तेरी ख़िदमत में, काफिरों की बस्ती है ।
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