अब मोहे लाज ना आवे,
चाहे कोई कितना डरावे,
काहे ना नैन मिलावे,
पिया जब मोहे बुलावे.
जग बैरी इतना सतावे,
किस विधि चैन ना आवे,
घर बार अब मोहे बोरावे,
पिया बिन कुछ न सोहावे.
संगत कोई भी ना भावे,
सखी सब आँख दिखावे,
नित नयी गाल बजावें,
पिया संग खुद रास रसावें.
पंछी सब उड़ उड़ जावें,
सब पिया के मन भावें,
मोहे घर काज फसावें,
ताके पिया मोहे बिसरावे.
अब मोहे यह मत भावे,
काहे मुझे ही लाज आवे,
काहे ना नैन मिलावे,
जब वो मुझे इतना बुलावे.
अब मोहे लाज ना आवे,
बिन पिया जिया नहीं जावे.
'रवीन्द्र'
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY