Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्रार्थना

 

ना जाने मैं कैसा हूँ,
लगता है तेरे जैसा हूँ ।
तेरे दम से जीता हूँ,
हर पल थोड़ा मरता हूँ।
जगता हूँ तो जपता हूँ,
वरना सोया करता हूँ ।
प्यास अभी क्यूँ बाकी है,
जब साथ मेरे तू साकी है।
जानू कब से तू दानी है ,
मेरा प्याला क्यूँ खाली है।
पीर पराई भर दे इसमें,
ज़हर जफ़ा का दे दे इसमें,
दान दया सिखला दे मुझको,
थोड़ा अपने सा कर दे मुझको।
फिर मैं तेरे साथ रहूँगा,
जीने मरने से बचा रहूँगा ।

 

 

रवीन्द्र कुमार गोयल

 

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