पंथ की पहचान ना हमको,
सुप्त हैं इच्छाओं के वश में,
ग्रसे है मोह केतु सभी को,
जगा इस निद्रा से हमीं को,
राह दे , हे कृष्ण सभी को.
सम्पदा तामसी पास सबके,
कोई किसी का हित ना साधे,
भाव सबके पता हैं तुझको,
हटा तिमिर,दे प्रकाश इनको.
राह दे , हे कृष्ण सभी को.
दाता वही जो दे मान सबको,
प्रियाप्रिय का ना भान जिसको,
डोर भक्ति की थमा हमीं को,
योग्य कर्म में डुबा सभी को,
राह दे , हे कृष्ण सभी को.
जले ज्योति ज्ञान वैराग्य की,
जगे अभिलाष पूर्ण मिलन की,
होए पहचान कृष्ण भाव की,
मंत्र वो राधे कृष्ण दे सभी को.
राह दे , हे राधे सभी को.
रवीन्द्र
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