Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रसामृत

 

गोपी हियवासिनी हरि हियहुलासिनी,
रसराज संगिनी रास रसावनि भक्ति।

 

भय पाप अपहारी कामार्थ निर्मोचनी,
मदन मोहन अपि मन मोहिनी भक्ति।

 

संतोष दायिनी सर्वाम मुक्ति प्रदायिनी,
सर्वत्र पवित्र प्रेम अधिकारिणी भक्ति।

 

न कर्म काण्डे न दानेन ज्ञानेन तथैव,
मात्र अनुग्रहेन प्राप्य सु -दुर्लभा भक्ति।

 

सर्व सिद्धेश्वारय अपि अति-कनिष्ठ करनि,
स्वयंसिद्धा शनैशनै आनंददायिनी भक्ति।

 

सर्वम आकर्षिति य: स कृष्ण परमेश्वर,
कृष्णापि आकर्षति राधा रूपेण भक्ति ।

 



श्री कृष्ण प्रेरणा प्रेरित,

' रवीन्द्र '

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