करे जो सत्य का वमन,
पहले कर ले आकलन,
झूठ है कितना प्रबल,
सत्य विष कितना सघन.
पास हो जब विष सघन,
धार बहे तब ये अविरल,
बच के ना जाये निकल,
असत्य का प्रपंच सबल.
कर एकत्र अगर है कम,
शत्रु अनेक मित्र हैं कम,
निकाल न दें तेरा ही दम,
ले उधार फिर करना सम.
ले दंड भटक वन उपवन,
मिले शायद कुछ विरल,
सत्य विष का संश्लेषण,
करना पड़ेगा इसे सघन.
समय लगा के कर मंथन,
धर धीरज कर सुमिरन,
कृपालु शिव महादेवन,
शुभ करन संशय दमन.
जितना विष उतना सबल,
प्रचुर अधिक कर संग्रहण,
शनै शनै हो झूठ का दमन,
कर सत्य का विष वमन.
रवीन्द्र
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