ज़वाब है इस तरफ़
तेरे हर सवाल का,
तजुर्बा है मुझे कुछ
वफ़ा के इम्तिहां का ।
अच्छा या खुशनुमा
सवाल यह पसंद का,
खुशनुमा नहीं अच्छा
ज़वाब ये उसूल का ।
सिला लेना है अभी
पूछता है जब कभी,
अभी नहीं वक़्त सही
ज़वाब यही सब्र का ।
ज़िन्दगी कितनी हसीं
कैसे कह दूँ कि है नहीं,
मुफ़्त में मिलता नहीं
तोहफ़ा ये रसूल का ।
पास तेरे क्या नसीब
मेहर तेरी तू करीब,
खुश है हर हाल में
बन्दा अपने नसीब का ।
' रवीन्द्र '
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