बरस ले ऐ सावन
रिम - झिम बरस ले,
मेरे मन के आँगन से
जी भर के उमस ले ।
बरस ले ऐ सावन
रिम - झिम बरस ले,
बहार फुहारों की
हलकी सी उमंग ले ,
रहे जरा लम्बी
जीवन गुज़र ले ।
बरस ले ऐ सावन
रिम - झिम बरस ले ।
अँधेरे अमावस के,
हो दूर बह के,
जीवन की सरिता
उजालों को भर ले ।
बरस ले ऐ सावन
रिम - झिम बरस ले ।
बादल की चादर
सूरज को ढ़क ले,
दुःख की अगन भी
सुखों से शमन ले ।
बरस ले ऐ सावन
रिम - झिम बरस ले ।
शब्दों की रिमझिम
भावों का रस ले,
मधुर सी कविता
'रवि' भी रच ले ।
बरस ले ऐ सावन
रिम - झिम बरस ले ।
' रवीन्द्र '
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