चिराग़ ऐसा भी जले,
उजास हर उर मिले,
मांगलिक हो दीप पर्व,
प्रसून वैभव का खिले ।
सभी मित्रों एवं सुहृदयों को दीप पर्व की शुभ कामनायेँ,
' रवीन्द्र '
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चिराग़ ऐसा भी जले,
उजास हर उर मिले,
मांगलिक हो दीप पर्व,
प्रसून वैभव का खिले ।
सभी मित्रों एवं सुहृदयों को दीप पर्व की शुभ कामनायेँ,
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