Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सिला

 

जिंदगी चैन ना पाये, तो सुला देना,
निगाहों की चिलमन में, छुपा लेना ।

 

किये जिसने भी, सज़दे मुहब्बत के,
अपनी वफाओं से, तुम मिला देना ।

 

इश्क़ होता है तो , इनायत से तेरी,
क्यों होती है जफ़ा, तुम बता देना ।

 

हम हैं गाफ़िल, खता करते आक़िल,
नादान समझ करके, तुम भुला देना ।

 

याद तेरी बने अब, नब्ज़े -हयात मेरी,
भूल जायें जो कभी, तुम बुला लेना ।

 

भूल तुमको ना पाएं, तो ये सिला देना,
हमें अपने आँचल में, तुम छुपा लेना ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

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