जिंदगी चैन ना पाये, तो सुला देना,
निगाहों की चिलमन में, छुपा लेना ।
किये जिसने भी, सज़दे मुहब्बत के,
अपनी वफाओं से, तुम मिला देना ।
इश्क़ होता है तो , इनायत से तेरी,
क्यों होती है जफ़ा, तुम बता देना ।
हम हैं गाफ़िल, खता करते आक़िल,
नादान समझ करके, तुम भुला देना ।
याद तेरी बने अब, नब्ज़े -हयात मेरी,
भूल जायें जो कभी, तुम बुला लेना ।
भूल तुमको ना पाएं, तो ये सिला देना,
हमें अपने आँचल में, तुम छुपा लेना ।
' रवीन्द्र '
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