Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सिंगार

 

हुई गज़ब तेरी ये खिराम रे,
बलम बाँके हुए कोतवाल रे ।

 

सारी दुनिया है मेहरबान रे,
तेरे सजना हुए कोतवाल रे ।

 

बाकी क्या यारों से काम रे,
जब से सैयाँ भये कोतवाल रे ।

 

अब तो सजदे में सारा ग्राम रे,
पिया थाने में हैं कोतवाल रे ।

 

तुझे सजने से क्या अब काम रे,
तेरा सिंगार है अब कोतवाल रे ।


( खिराम - The graceful walk)

' रवीन्द्र '

 

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