चित्त की चिंताओं को चलो चिर च्युत कर दें ,
चित्तचोर की चंचल चितवन को चित में धर लें,
कलश कामनाओं के कान्हा के कदमों में रख दें,
स्तुति स्यामसुंदर की सम्मिलित स्वरों से कर लें.
रवीन्द्र
Powered by Froala Editor
चित्त की चिंताओं को चलो चिर च्युत कर दें ,
चित्तचोर की चंचल चितवन को चित में धर लें,
कलश कामनाओं के कान्हा के कदमों में रख दें,
स्तुति स्यामसुंदर की सम्मिलित स्वरों से कर लें.
रवीन्द्र
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY