ज़िंदगी मिली है पिया,
दिया जो, तुझे जिया,
तमन्नायें हुईं हैं जवां,
दे रही, हर शय दुआ ।
परवाज़ में हैं चाहतें,
ग़मों से हैं फ़ासले,
एक तू जो है मिला,
साथ मेरे है कारवाँ ।
फ़िरदौस है हर डगर,
है इनायत हर नज़र,
वक़्त हुआ हमसफ़र,
हमराह तू जबसे हुआ ।
घने ये गुलों के साये,
महक रहीं ये फ़िज़ाएं,
बुलाती फैला कर बाहें,
इश्क़ हुआ है मेहरबां ।
तमन्ना एक भूल की,
कली की या फूल की,
दो घड़ी के ज़ुनून की,
रहे ना अधूरी दुनिया ।
खो गयी हूँ , मैं पिया,
कुछ न अब मेरा रहा,
एक तू जो मिल गया,
मिला मुझे सारा जहाँ ।
' रवीन्द्र '
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