Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तमन्ना

 

 

ज़िंदगी मिली है पिया,
दिया जो, तुझे जिया,
तमन्नायें हुईं हैं जवां,
दे रही, हर शय दुआ ।

 

 

परवाज़ में हैं चाहतें,
ग़मों से हैं फ़ासले,
एक तू जो है मिला,
साथ मेरे है कारवाँ ।

 

 

फ़िरदौस है हर डगर,
है इनायत हर नज़र,
वक़्त हुआ हमसफ़र,
हमराह तू जबसे हुआ ।

 

 

घने ये गुलों के साये,
महक रहीं ये फ़िज़ाएं,
बुलाती फैला कर बाहें,
इश्क़ हुआ है मेहरबां ।

 

 

तमन्ना एक भूल की,
कली की या फूल की,
दो घड़ी के ज़ुनून की,
रहे ना अधूरी दुनिया ।

 

 

खो गयी हूँ , मैं पिया,
कुछ न अब मेरा रहा,
एक तू जो मिल गया,
मिला मुझे सारा जहाँ ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ