रूठे रब को मनाना, सबब था मेरी ज़िन्दगी का,
हिस्सा ज़िन्दगी का, जाने कब तारीख़ बन गया ।
' रवीन्द्र '
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रूठे रब को मनाना, सबब था मेरी ज़िन्दगी का,
हिस्सा ज़िन्दगी का, जाने कब तारीख़ बन गया ।
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