मैंने एक गीत लिखा है ,
प्रिय तुम्हारे लिए,
थोडा सा अनुराग जगा है,
प्रिय तुम्हारे लिए.
तुम्हारी चाहत का है मुखड़ा,
पुनीत प्रीत का नन्हा टुकड़ा,
सघन प्रेम विश्वास भरा है,
प्रिय तुम्हारे लिए,
मैंने एक गीत लिखा है,
प्रिय तुम्हारे लिए.
मृदुल स्वरों से भरा अन्तरा,
स्नेह मधुर वचन मनोहरा,
थोडा सा माधुर्य भरा है,
प्रिय तुम्हारे लिए,
मैंने एक गीत लिखा है.
प्रिय तुम्हारे लिए.
सुन्दर भाषा का छंद अनसुना,
उपमा भक्ति प्रेम निर्भरा,
परम आत्मीय भाव मिला है,
प्रिय तुम्हारे लिए.
मैंने एक गीत लिखा है.
प्रिय तुम्हारे लिए.
सरल शैली का लावण्य जड़ा,
रास ललित सुधा सम पड़ा,
शोणित रंग हिना खिला है,
प्रिय तुम्हारे लिए.
मैंने एक गीत लिखा है.
प्रिय तुम्हारे लिए.
चंचल चित्त में नैन तुम्हारे,
पुलकित मन यह रूप निहारे,
थोडा सा परिहास किया है,
प्रिय तुम्हारे लिए,
मैंने एक गीत लिखा है.
प्रिय तुम्हारे लिए.
थोडा सा अब प्यार जगा है,
प्रिय तुम्हारे लिए.
मैंने एक गीत लिखा है.
प्रिय तुम्हारे लिए.
'रवीन्द्र'
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