Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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उलझन

 

ज़िन्दगी ख़्वाब है, ख़्वाब में गुलशन,
लें फूल या कांटे , बस यही उलझन ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

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