रावण हता कुम्भकरण हता,
सहित अविद्या हता मेघनाथ,
स्वर्णपुरी भई अब अमरावती,
आनंदित अखिल ऋत समाज ।
रघुनंदन तुम असुर निकन्दन,
जय राघव जय अयोध्या राज,
हर्षित हृदय करता अभिनंदन,
बिरजो उरसिंघासन पर आज ।
सभी मित्रों को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनायें,
' रवीन्द्र '
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