Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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योग

 

क्या करें बात, बचा कुछ भी नहीं,
आरसी में मेरा, बचा कुछ भी नहीं,
जो भी था मेरा, तुझ में जुड़ गया,
अब मुझमें मेरा, बचा कुछ भी नहीं ।
~ ( आरसी - दर्पण )

 

 

 

' रवीन्द्र '

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