Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अनुभवों का फ़िर नही कोई बहाना चाहिए

 

अनुभवों का फ़िर नही कोई बहाना चाहिए ,
सोच जिसमें है नई वह आजमाना चाहिए ।


थक गए हैं जो सफर में दीजिये आराम उनको-
एक इंजन जोश से लबरेज आना चाहिए ।

 

बेवजह ही ढूँढते हो खोट गमलों में मियाँ-
झुक गया है पौध उसको एक निवाला चाहिए ।

 

घर में आकर जो हमारे दे गए बेचैनियाँ-
उस पड़ोसी से हमें दूरी बनाना चाहिए ।

 

जल रहा है जो परिंदा चीख कर यह कह रहा –
रोशनी से इस कदर ना यूँ नहाना चाहिए।

 

देश को अब चाहिए खुशनुमा सा एक प्रभात-
जिसके पीछे चल सके पूरा ज़माना चाहिए ।

 

रवीन्द्र प्रभात

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