Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खेलिए ज़ज़्बात से मत खौफ़ तारी कीजिये

 

खेलिए ज़ज़्बात से मत खौफ़ तारी कीजिये
मुस्करा के वेबजह ना मेहरबानी कीजिये

 

छेडिये इक जंग ग़ुरबत को मिटाने के लिए
घोषणा मत खोखली या मुँह जबानी कीजिये

 

कौन है जो चांदनी का नूर फैलाता है अब
सोचिये कुछ सोचिये कुछ मगजमारी कीजिये

 

आइये , भरिये जहां में उल्फतें ही उल्फतें
हर किसी से बात खुल कर प्यारी-प्यारी कीजिये

 

बैठे – बैठे प्यास का मसअला होगा न हल-
बात तब है , पत्थरों में नहर ज़ारी कीजिये

 

राम औ रहमान दोनो हैं अलग कहके प्रभात
देश की आवाम को न पानी – पानी कीजिये

 

 

रवीन्द्र प्रभात

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