Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरा भारत

 

बहुत कुछ है जीने को ...
जो कुछ भी है ...
एक वक़्त की रोटी
दिन रात खट कर ...
मैला तालाब का पानी
टूटी छत में खुला हुआ आसमान
बड़े हो रहे बदन पर ...
छोटे होते कपड़े
झगडे ...एक एक टुकड़े पर
प्यार बिना बात पर
सारा गावं .....और शहर ..
और ....... ये भीड़ ....
सारा भारत अपना ही तो है ...
बहुत कुछ है जीने को अभी
जो कुछ भी है
मेरे पास .....

 

 

रौनक हबीब

 

 

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