Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरे दिल की बंजर ज़मीं ज़रख़ेज कर

 

 

मेरा दिल सदियों से बंजर है इसे ज़रखेज कर
इस जमीं पर प्यार की बरसात थोड़ी तेज कर

 

आँख उठाकर देख ले मेरी तरफ भी साकिया
मेरे पैमाने को भी थोड़ा सुरूर अंगेज कर

 

प्यार भँवरों का है तब तक, फूल जब तक है जवां
ऐसे लोगों से मेरे सादा सनम परहेज कर

 

दे दिया उसने जवाब और कर दिया है लाजवाब
मेरी सारी चिट्ठियाँ मुझको ही वापस भेज कर

 

क्या मिला अब तक तुझे इस बुतपरस्ती से सुमन
जो तेरे जज्बात समझे सिर्फ उसे परवेज कर

 

 

 

..........© रायसिंह 'सुमन'

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