Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

गम, गुस्से व जनाक्रोश की तपिश से झुलस रही लोहिया की जन्मस्थली

 

 

-रीता विश्वकर्मा

 


डॉ. राममनोहर लोहिया की जन्मस्थली वाले जिले अम्बेडकरनगर में खाकी पर खादी की बढ़ती हनक व अपराध एवं अपराधियों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पाने से जहां लोगों में काफी गम, गुस्सा है वहीं व्यवस्था से भी भरोसा उठ रहा है। गम, गुस्से एवं ब्यापक जनाक्रोश की तपिश से समाजवाद के पुरोधा रहे डॉ. राममनोहर लोहिया की जन्म स्थली वाला यह जिला झुलस रहा है। गम्भीर आपराधिक मामलों में भी कार्रवाई को लेकर लाभ-हानि वाली राजनीति गंगा-जमुनी संस्कृति को झकझोर रही है। गत 3 मार्च 2013 को टाण्डा निवासी हिन्दू युवावाहिनी के जिलाध्यक्ष रामबाबू गुप्त की नृशंस हत्या और हत्याकाण्ड के अहम गवाह उसके भतीजे राममोहन गुप्त की 4 दिसम्बर 2013 को गोली मारकर की गई हत्या से टाण्डा समेत पूरे जिले में चौतरफा गम, गुस्सा और आक्रोश व्याप्त हो गया।

 


हत्याकाण्ड में काफी जद्दोजहद के बाद टाण्डा के सपा विधायक एवं उनके गुर्गों की नामजदगी भाजपा एवं हिन्दूवादी संगठनों के साथ-साथ व्यपार मण्डलों के आह्वान पर जिला बन्द का व्यापक असर, एस.टी.एफ. समेत जिले की पुलिस टीमों को लगाये जाने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर नतीजा सिफर, बड़ों के बजाय छोटों की गर्दने नाप जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिशें। इंसाफ की मांग को लेकर पीड़ित परिवार का घर के सामने धरना फिर भी न्याय मिल पाने के आसार नहीं। यही हाल है डा. राममनोहर लोहिया की जन्म स्थली वाले अम्बेडकरनगर जिले की। कहने वालों के अनुसार विरोधियों को निबटाने का सियासी आकाओं ने ऐसा घिनौना खेल खेलना शुरू किया है जिससे उनके दामन तो दागदार हो ही रहे हैं, साथ ही सियासत भी दागदार होने लगी है। ऐसे में लोगों में गम, गुस्सा एवं आक्रोश पनपना लाजिमी है। टाण्डा के रामबाबू गुप्त की हत्या (3 मार्च 2013) के समय से ही जिले में तैनात होने वाले आला-हाकिमों का रवैया बेहद ही निराशा जनक रहा है।
रामबाबू गुप्ता हत्याकाण्ड में ही यदि पुलिस ने निष्पक्ष कार्रवाई कर असल गुनहगारों को जेल की सीखचों के पीछे पहुंचाया होता और मृतक के परिवारीजनों द्वारा दी जाने वाली शिकायती तहरीरों पर कार्रवाई की होती, सुरक्षा एवं संरक्षा प्रदान किया होता तो शायद उसके भतीजे राममोहन गुप्त की हत्या न होती। राममोहन गुप्त की हत्या में टाण्डा सपा विधायकएवं उनके तीन गुर्गों की नामजदगी तो हो ही गयी लेकिन पुलिस अभी तक चारों की गिरफ्तारी का साहस नहीं जुटा पायी है।
सपा विधायक को एक रसूखदार काबीना मंत्री का बेहद करीबी माना जाता है। यही कारण है कि जिले में तैनात होने वाले अधिकारी भी अपनी कुर्सी बचाने के लिए विधायक को ही खुश करने में लगे रहते हैं। राम मोहन गुप्त हत्या मामले में लापरवाही के लिए भाजपा एवं हिन्दूवादी संगठनो तथा व्यापार मण्डलों से जुड़े लोगों ने पुलिस अधीक्षक को निलम्बित किये जाने की मांग शुरू कर दिया। अलीगंज थानाध्यक्ष रमेशचन्द पाण्डेय एवं अन्य चार पुलिस कर्मियों को जहां निलम्बित कर दिया गया वहीं पर्यवेक्षण में शिथिलता के लिए सी.ओ. टाण्डा को स्थानान्तरित कर दिया गया। साथ ही अपर पुलिस अधीक्षक राजीव मल्होत्रा का भी तबादला कर दिया गया।

 


खबरों के अनुसार पुलिस ने यह दावा किया है कि जल्द ही हत्यारोपी पुलिस पकड़ में होंगे और हत्या का राजफाश कर दिया जाएगा। विधायक समेत अन्य हत्यारोपियों के उच्च राजनीतिक पहुँच एवं प्रभाव के कारण धरने पर बैठे मृतक राममोहन गुप्त के परिजनों को इंसाफ मिल पाने के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। आन्दोलन, जनपद बन्द, धरना-प्रदर्शन के बावजूद नामजद हत्यारोपियों का पुलिस पकड़ से दूर रहना अवश्य ही सोचनीय सा बना हुआ है। इस परिस्थिति को देखकर यह कहा जा सकता है कि सत्ता के प्रभाव से अधिकारियों के हाथ बंधे हुए है, शायद यही कारण है कि चाहकर भी वे आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।

 

 


-रीता विश्वकर्मा

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ