रीता विश्वकर्मा
दुनिया का बेशकीमती हीरा ‘कोहिनूर’ जो इस समय ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के मुकुट में जड़ा है, को 1850 में ब्रिटिश इण्डिया के तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी ने सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह के 13 वर्षीय पुत्र और उत्तराधिकारी दलीप सिंह पर दबाव बनाकर हासिल कर इसे क्वीन विक्टोरिया को सौंपा था। कोहिनूर हीरा 106 कैरेट का है जो दुनिया के बड़े हीरे में से एक है। उसको वापस करने के बावत बीते दिवस भारत दौरे पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने दो टूक शब्दों में कहा कि ‘‘यह हमारा है। हम वापस नहीं करेंगे।’’
भारत के बेशकीमती ऐतिहासिक धरोहर ‘कोहिनूर’ हीरे को वापस किए जाने की माँग स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् अनेको बार की गई, लेकिन ‘कोहिनूर’ अब भी महारानी के मुकुट की शोभा बना हुआ है। 1997 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत आई थीं तब भी उनसे कोहिनूर वापसी की माँग की गई थी लेकिन तब भी परिणाम सिफर हाथ लगा। इस बार अपने तीन दिवसीय भारत दौरे पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन जब आए तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कोहिनूर वापसी की बात को नकार दिया इससे करोड़ो भारत वासियों का दिल टूट गया। यही नहीं बीते दिवस अपने दौरे के अन्तिम दिन कैमरन ने कोहिनूर की वापसी के बावत जवाब दिया कि ‘कोहिनूर’ को सौंपना सम्भव नहीं है। इसको माँगना सही दृष्टिकोण नहीं है। हम देने में विश्वास नहीं करते हैं। कैमरन ने कहा कि वह अतीत को छोड़कर वर्तमान और भविष्य की ओर देखने में भरोसा करते हैं।
यह तो रही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की बात अपना कहना है कि अब हमें ‘कोहिनूर’ की बात ही नहीं करनी चाहिए और ब्रिटेन से डिप्लोमैटिक रिश्तों पर ध्यान देना चाहिए। जब इतने साल रहकर अंगेजों ने हमारे देश (सोने की चिड़िया) को लूटा तो ऐतिहासिक धरोहर ‘कोहिनूर’ भी लिए रहें। हाँ यह बात दीगर है कि उन्हें और सम्पूर्ण विश्व को यह जानकारी बराबर मिलनी चाहिए और इस बात का एहसास होते रहना चाहिए कि लूटेरा कौन है?
रीता विश्वकर्मा
(पत्रकार/स्वतंत्र टिप्पणीकार)
संपादक- www.rainbownews.in
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