Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बुजुर्गों ने कहा

 

 

बुजुर्गों ने कहा -
पहले बंधन फिर प्यार
नजदीकियाँ प्यार में बदल जाती है
बच्चों ने कहा -
पहले प्यार फिर बंधन
प्यार नहीं तो बंधन कैसा ?
रिश्तों में पैबंद लग जाती है
जब भी नोक-झोक होते
बच्चे मजा लेते
मम्मी !कौन पंडित गणना बैठाया है
पतिदेव नमक छिड़कते
बेटा ! !नाना जी पंडित को घूस दिए थे

 

जिंदगी के इसी उहा-पोह में रात गजर जाती है
सुबह दो कप चाय लिए बेडरूम में जाती हूँ
पर पतिदेव को नहीं पाती हूँ
शायद ;ड्राइंगरूम में टी वी देखते होंगे
क्रिकेट या न्यूज में उलझे होंगे
पर ; वहाँ भी नहीं पाती हूँ
धत्त् कल ही तो उन्हें
मैं स्टेशन छोड़ आई थी
ओह … बावरी

 

मैं बहुत खुश हुई -
कुछ दिन मैं अपने घर की प्रधानमंत्री
जो जी आये में आये करुँगी कोई रोक टोक नहीं
टी वी पर सास-बहु ,नाच-बलिये सीरियल देखूंगी
कोई छिना झपटी नहीं
बारी -बारी से मन पसंद चेनल घुमाई
पर ; अच्छा न लगा
न्यूज में ही उलझी रही
और चाय भी धरी की धरी रह गई
ऐसा क्यों हुआ
यह प्यार है कि बंधन

 

 

 

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(रेखा सिंह --पुणे )

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