लौकिक -अलौकिक
मै नहीं जानती
इसमें कौन है मौलिक
आत्मा-परमात्मा
सत्य क्या -
तर्क में उलझा जीवात्मा
द्वैत -अद्वैतवाद
क्षण -क्षण कराती प्रतिवाद
द्वैतवाद -
हृद से उठती लहर
और फिर उसी में मिल जाती तरंग
मंदिरों में होता गीतापाठ
स्वर उठता पवन के संग
वीणा से निकलते मधुर राग
उसी में समा जाती लय-उमंग
अद्वैतवाद -
तारे और गृह
दोनों है अभिन्न अंग
गृह का होता अलग अस्वतित्व
जो तारे से होता भंग-भंग (सूर्य को खगोल शास्त्री तारा मानते हैं )
पर्वतों से निकलती तरंगनी
कल-कल छल-छल
और हो जाते अलग रंग रूप
और स्वर्ण-किरणों में छुपा
इन्द्रधनुसी सतरंग
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