उस रात काफी तेज बारिश हो रही थी ।बिजली भी नहीं थी ।झारखंड में बिजली का बहुत बुरा हाल है ।थोडा भी हवा तेज चला गायब ।थोडी बारिश गायब ।वैसै लोगो में जागृति आ गई है । उस समय सुधार काम बडे जोर - शोर से चल रहा था ।सडक के छोटे -छोटे गड्ढे भर गये थे ।नाली का नवनिर्माण काम चल रहा था ।सुनते है स्ट्रीट डाॅग का भी सफाया होगा।गंदगी जो फैलाते हैं ।नगर एकदम चकाचक हो जायेगा।
एकदिन पतिदेव से मैं पूछी -सुनिए न?
क्या है बोलो ?
कुत्ते पकडने वाली जो गाडी आती है...वो कुत्तों को जान से मार देती है क्या?
अरी नहीं पगली ! कहीं आबादी से दुर सुनसान में छोड देतें हैं ।
एक तरह से मार देना ही हुआ ।बेचारे को खाने को क्या मिलेगा सूनसान में ।
एक बात बोलें ?
कौन -सी ?बोलो ।
वो चितकबरी कुतिया थी न ....जिसके छोटे -छोटे तीन बच्चें थे ।बिचारी ट्रक के चपेट में आ गई।पता है उसके बच्चों को उसकी बहन देखभाल कर रही है ।
हे भगवान्! ! तुमको और कोई काम धन्धा नहीं है ?काॅलोनी के जितने कुत्ते -बिल्ली ,गाय बकरी है सब का लेखा- जोखा रखना जरूरी है। बोलते हैं बीच -बीच में सारे रिश्तेदार से फोन पर बात कर लिया करो ...नहीं ..वो भी हमें याद दिलानी पडती है ।
आप तो कुछ भी पुछो उल्टा जवाब देंगे ।मैं इसलिए पूछ रही थी कि इसके और भी विकल्प हो सकते हैं उनके हित में ।
हाँ तो उस रात कुत्ते बहुत भौंक रहे थे।पडोसी श्यामबिहार बालकनी में आकर चिल्लाया ----साले ! चुप रहेगा ? कि फेंके एक डंडा ?
ये भी बालकनी में खडा हो साथ देने लगे .....जीना हराम कर रखा है ।दिन भर काम देखो ।रात में इनकी नौटकी झेलो ।
मैं एक हाथ से जिम्मी (जर्मन शेफर्ड मेरा कुत्ता )को पकड दुसरे हाथ में एक डंडा ले हनुमान चालिसा पढते हुये आधीरात को छत पर गई।देखे मामला क्या है ।
देखती क्या हूँ - थोडी दूर पर खुले नाली के पास पांच -छः गाय खडी है।नाली में कुछ तो टाँग जैसा हिल रहा है ।वहीं आसपास खडे हो कुत्ते भौंक रहे थे।मैं दौडकर इनके पास गई ।हाथ खींचकर ऊपर ले जाने लगी ।चलिए न कुछ नाली में दिख रहा है । ये मन भारी कर ऊपर गये अच्छा बाबा चलते हैं ।अचानक ये बिजली की फूर्ती से बाहर निकल आये।श्यामबिहारी......अरे दिनकर कहाँ हो सब लोग जल्दी बाहर आओ।एक गाय नाली में गिरकर छटपटा रही है ।आवाज सुन आजू -बाजू के लोग बाहर निकले।क्या है भइया ? गाय इतनी भारी की बार -बार फिसल के छुट जाये ।फिर बाँस के सहारे उसे निकाला गया ।तब जाकर कुत्ते शांत हुये ।सिर्फ़ दो -तीन बार भू...भू....भू बोले ।मानों कह रहे हो संभल कर नहीं चला जाता ??
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रेखा सिंह
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