इन कोरे कागजों पर
बस लिखती रहती हूँ अपनी आवाज
वो आवाज
जो बस मेरे आँखों के आँसू बनकर रह गये हैं
न कोई सुनने वाला
न समझने वाला
बस कहने वाले हैं इस दुनिया मेँ
क्या कहते हैं बताने की जरुरत नहीँ
बस यही समझोँ गुनाह किया है मैनेँ
एक लड़की बनकर
अब यह बताना जरुरी तो नहीँ
एक लडकी होने का गुनाह क्या हैं
यह समझाना जरुरी तो नहीँ
-ऋतू सिंह
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