आज सुबह उठते ही उगते सूरज को देखा,
इसकी किरणों को पंख पसारते देखा !
फैला उजाला इस संसार में ,
वृक्षों ने अपना आँचल फैलाया !!
खिलखिलाती धुप को उसने समेटा,
पवनो में थी एक नयी लहर !!
सनसनाहट सी थी चारो और,
पुष्पों में भरी थी नयी सुगंध !
सुगंधों से महक रहा था उपवन ,
भवरो की मुस्कान में चमक सी थी !!
एक अजीब कशिश सी थी,
ऐसा लगता है ये सब मुझे बुलाते है !
अपने अरमान मुझसे कहना चाहते है ,
मुझे अपनी कड़ी से जोड़ना चाहते है !!
रोहिणी विश्वनाथ तिवारी
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