Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चित्रो की कला

 

चित्रो को तुम बनाते हो मगर,
उन चित्रो को तुम पहचानते नही !
उन्हे रंगो से तुम भरते हो मगर,
उन रंगो को तुम समझते नही !
कही लाल है तो कही पीला है रंग,
इनकी चमक तुम जानते नहीं !
इन चित्रो मे है हरियाली भरी,
उस हरियाली को तुम देखते नहीं !
तेरे चित्रो मे है एक कहानी लिखी,
उस कहानी को तुम कभी पढ़ते नहीं !
तेरे चित्रो मे प्यार के रंग है भरे,
उन प्यार के लब्जो को तुम सुनते नहीं !
तेरे चित्रो मे है कहीं उदासी छिपी,
उन उदासी को दूर तुम करते नहीं !
तेरे चित्र सवाल तुझसे पूछते है मगर,
उन सवालो के जवाब तुम देते नहीं !
ये चित्र है कहीं ना कही तेरी ही परछाई,
क्यू तूने कर रखी इतनी रुसवाई!
तेरे चित्र है तेरे सांगी साथी,
तेरे जीवन मे संग संग चलेंगे यही !
इन्हे देख ज़रा ज़रा दिल से पुकार,
इन्हे जी भर के तू अब करले दुलार !
तेरे चित्रो की रोशनी मे ऐसा है दम,
तेरे जीवन के अंधेरे को कर देगी कम !
तू जगा है अभी, तू उठेगा अभी,
अपने जीवन को रोशन करेगा अभी !
अपने चित्रो का संग जो तूने थामा,
ये निभाएँगे तुझसे जीवन भर का नाता !

 

 

 

meri ye kavita mere swargiya pitaji ki yaad gari me

 

Rohini Tiwari

 

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