Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दास्तान

 

है नैनो में अश्रु , अधरों पे मुस्कान,
ये कैसी कश्मकश, ये कैसी दास्तान !!
होती है एक जैसी घडी, एक जैसा समय,
पर उन घडियो में कोई रोता, कोई हसता,
ये कैसी कश्मकश, ये कैसी दास्तान !!
होती है जीवन की एक जैसी राहे यहाँ
पर उन राहो में कोई मिलता, कोई बिछड़ता ,
ये कैसी कश्मकश, ये कैसी दास्तान !!
होते है जीवन में एक जैसे आशियाने पर,
उन आशियानों में कोई,
आबाद होता , कोई बरबाद होता,
ये कैसी कश्मकश, ये कैसी दास्तान !!
होती है जीवन में एक जैसी सरिताए ,
मगर उन सरिताओ के बीच कोई,
डूब गया तो कोई पार हुआ,
ये कैसी कश्मकश ये कैसी दास्तान !!
होते है जीवन में कई रिश्ते मगर
उन रिश्तो के बीच,
कोई अपनाता, कोई ठुकराता,
ये कैसी कश्मकश, ये कैसी दास्तान !!
इस आसमान के तारे एक जैसे है,
पर उन तारो के बीच,
कोई टिमटिमाता , कोई टूटता,
ये कैसी कश्मकश, ये कैसी दास्तान !!
चन्दा की चांदनी एक जैसी है पर,
इन चांदनी के बीच किसीकी,
रोशनी में दम, किसी की रोशनी है कम !
है ये कैसी कश्मकश ये कैसी दास्तान !!
होते है खुशियों के एक जैसे लम्हे मगर,
उन लम्हों के बीच,
होता मिलन भी , तो होती जुदाई भी
है ये कैसी कश्मकश ये कैसी दास्तान !!

 

 

meri ye kavita mere swargiya pitaji ki yaad gari me

 

Rohini Tiwari

 

 

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