Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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डोर

 

 

यह जीवन एक प्यारी नदी सी है,
और तुम इस नदी की नाव की तरह !
इसके माझी भी तुम, पतवार भी तुम,
इस नैय्या के अकेले चलैया की तरह !
कब आँधी आ जाए, कब तूफान आ जाए,
इससे बेख़बर एक राहगीर की तरह !
इसकी गहराइयो का कुछ पता नही ,
डूबती हुई नौका की तरह !
इसके किनारों का तुझको कुछ अंदाज़ा नही ,
किनारे की आस लगाए एक माझी की तरह !
इस जीवन की अदभुत कहानी,
जल है गहरा और नाव है पुरानी !
बीच भवर मे ही लाकर डुबोती है,
एक अन्मिट अविचल निशानी की तरह !
कोई डूबा कोई पार हुआ ,
एक लड़खड़ाती हुई नैय्या की तरह !
जो डूबा यहा वो गया है कहा,
ना जान पानेवाले भविष्य की तरह !
हमे नचाता कोई हम नाचते यहा,
उंगली मे बँधे कठपुतली की तरह !
इस जीवन का कोई भरोसा नही ,
कब हो जाएगा क्या ये अंदाज़ा नही !
फिर भी जीवन को जी भर के जीते है लोग ,
दिल से दी गई दुआ की तरह !
यह कहानी मेरी यह कहानी तेरी,
हर किसी की बनती है कहानी यही !
यही अंत है मेरा, यही अंत है तेरा,
इस पर चलता नही किसी का ज़ोर !
एक आशा सी है, कही निराशा भी है,
फिर भी जीवन को जीना , एक कला की तरह !

 

 

 

meri ye kavita mere swargiya pitaji ki yaad gari me

 

Rohini Tiwari

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