Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दुनिया का मेला

 

दुनिया का मेंला बहुत है बड़ा,
इस मेले में होता झमेला बड़ा !!
रिश्ते नातो का फैला है जाल,
अपने परायो का फैला है जंजाल !!
झूठी है ये जिंदगानी ,
झूठी है ये कहानी !!
माया के जालो का झूला बना,
सपनो की डोर इस झूले से लगी !!
ख्वाहिश होती बुलबुलों की तरह,
ख्वाहिशो में लगते दीमक !!
कांचो की बनती खुशिया ,
टूटकर बिखर जाती खुशियाँ !!
गम होते कड़े पत्थर की तरह,
चाहकर भी जो टूटे ना कभीं !!
ये टूटे भी तो क्या फर्क है पड़ता,
अश्रुओ के रूप नैनो से बहता !!
कागज के बनते है सपने,
हवा के झोको से उड़ जाते !!
मिटटी की होती है नाव,
जल की बूंदों से गलती है नाव !!
दुःख का होता है सावन बड़ा,
बरसे तो लाये तबाही तमाम !!
कुछ कहना नहीं कुछ सुनना नहीं,
कुछ दीखता नहीं कुछ रहता नहीं !!
रोज इस मेले में आते है लोग,
आकर कहा खो जाते है लोग !!
इस मेले में है नामी व्यापारी,
इस मेले में होते न जाने कितने ग्राहकी !!
इस मेले की अद्दभुत हर बात है,
है धुप कभी तो कही बरसात है !!
इस मेले में आते सब मुट्ठी बंधे ,
इस मेले से जाते सब हाथो को पसारे !!
इस मेले की बस इतनी सी कहानी,
इस मेले की बस इतनी ही निशानी !!

 

 

 

 

meri ye kavita mere swargiya pitaji ki yaad gari me

 

Rohini Tiwari

 

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