Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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फिर अपनी आँखों में नए सपने सजाकर

 

फिर अपनी आँखों में नए सपने सजाकर,
उम्मीदो से भरा आँचल ओढ़कर ,
हौसलों की नयी उड़ान भरकर,
लब्जो में अपने गर्माहट भरकर ,
लड़खड़ाते हुए कदमो को एक नयी दिशा देकर ,
निकली हु राहो में नयी रोशनी को लेकर ,
एक चमकते सवेरे के इंतज़ार में,
सूरज कि किरणो कि चाह में ,
मंद - मंद एक मुस्कान है होठो पर ,
खिलती हुई खिलखिलहट सी ,
गुलशन है जिन दम से मेरा कारवां ,
दिल बाग़ बाग़ है जिन तम्मनाओ से मेरा,
कांटे भी पुष्प बनते चले गए,
जिन संघर्षो से रोशन है रास्ता मेरा ,
एक कश्मकश सी आज दिल में फिर उठी,
दस्तानो में छिपी एक नयी कहानी ,
इन कहानियो को अपने लब्जो से कहकर,
फिर एक नया इतिहास रचने,
मेरी कहानी कई शिखाओं को छूकर,
बया करने लगी मेरी कहानी अपनी जुबानी !!

 

 


धन्यवाद

 

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