Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ग्रामीण गीत और युवा अंदाज

 

जब बात हमारे भारतीय संस्कृति की आती है, तो गर्व से हमारा सर ऊँचा उठ जाता है क्यूंकि हमारे भारतीय संस्कृति में सभ्यता का बहुत बड़ा महत्तव होता है ! और भारत गावों का देश है, और हमें ये सभ्यता ग्रामीण जीवन से ही मिलती है !
हम अपनी सभ्यता के जरिये ही समाज में ऊँचे उठते है ! और ग्रामीण समाज में सभ्यता की पराकाष्ठा देखने को मिलती है जो मैंने अपने गाव में अपने निजी जीवन में महसूस की है ! और विनम्रता के जरिये हम अपनी करुणा, ममता की परिभाषा देते है और यही करुणा और ममता हमारे लोक गीतो में भी दिखायी देती है ! इन गीतो से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है, नैतिकता और संस्कारो को याद रखने का उपदेश दिया जाता है, या कह ले कि हमें अपने कर्तव्य की जानकारी इन गीतो के माध्यम से दी जाती है !

 


भारतीय संस्कृति में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है ! जिसके अंतर्गत कई सारे गीत गाये जाते है ! जिनमे बन्ना - बन्नी विशेष रूप से गाया जाता है ! और ये गीत उत्तर प्रदेश, बिहार , मध्य प्रदेश , हिमाचल आदि जगहो पर विशेष रूप से गाया जाता है !

 


तो पेश है, उन गीतो में एक गीत जिसके माध्यम से दुल्हे को उसके कर्तव्य की जानकारी दी जा रही है !

 


बन्ना तुम्हे इस घर को सदा स्वर्ग बनाना है,
परिवार की बगिया को तुम्हे सदा महकाना है !
जिस माँ ने तुमको जनम दिया, उसे कभी ठुकराना ना,
उस माँ के दूध का कर्ज तुम सदा अदा करना !
जिस पिता ने बड़ा किया उसे आदर सदा देना,
माँ बाप की ममता को कभी भूल ना जाना !
जिस भाई ने प्यार किया उसे धोखा ना देना कभी,
भाई - भाई के रिश्ते को सदा अपना बनाये रखना !
अपनी बहनो को कभी भूल ना जाना तुम,
राखी के बंधन की तुम्हे लाज बचाना है !
जिस लक्ष्मी को लाये हो उसे प्यार सदा करना,
आसु ना आये कभी सदा मन में बसा रखना !
हम सब की यही दुआ तेरी जोड़ी अमर रहे,
जब तक सूरज - चाँद रहे तेरी जोड़ी अमर रहे !

 


इस प्रकार के गीतो से दुल्हे को उसके कर्तव्य की याद दिलायी जाती है, और उसे सीख भी दी जाती है, जो पारम्परिक है ! ऐसे गीतो को सुनकर मन द्रवित और सुख की अनुभूति करता है, और यह एहसास केवल ग्रामीण जीवन से जुड़ी बातो में अधिक देखने को मिलता है ! सब कहते है कि आज की युवा पीढ़ी हमारे लोक गीतो को नहीं जानती उनका ध्यान कही और केंद्रित हो रहा है ! आज के आधुनिक युग में बदलते परिवेश में युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से प्यार नहीं उसे उसकी जानकारी नहीं ! यह बात कही हद तक सत्य है, परन्तु आज भी युवा ऐसे है जिनके अंदर अपने संस्कृति के प्रति लगाव है , और वे सजक और जागरूक भी है ! आज के फैशन के दौर में गीतो में भी फैशन आ गया है , और युवा पीढ़ी फैशन का दिल खोलकर स्वागत करते है !

 


गीतो के बोल उनके अल्फाज सब बदलते जा रहे है , लेकिन भावनायें कही न कही अपनी संस्कृति से जुडी है !
तो पेश है आज के युवा पीढ़ी के बोल में एक गीत जो शादियों में गाया जाता है !
इचक दाना बिचक दाना दाने उपर दाना
इचक दाना !!
रोज सबेरे उठकर बन्ना गरम कचौरी लाता है,
दादी को दिखला- दिखला कर बन्नी को खिलाता है,
दादी के मुह में आया पानी कैसा है जमाना इचक दाना !
इसी तरह दादा, मम्मी , नानी , चाची और रिश्तो को बारी – बारी से कहकर यह गीत प्रस्तुत होता है आज की युवा पीढ़ी के द्वारा !
इसी तरह आज कल के लड़को को पढ़ी - लिखी चाहिए
आप चाहे बुद्धू पर बीवी बी. ए चाहिए !
सेहरा लगाने का फैशन नहीं है,
आज कल के लड़को को हैट जरा चाहिए !

 


इसी प्रकार सुरमा और चश्मा सूट और आधुनिक पीढ़ी का प्रिय वाद्ययंत्र डी .जे इसी तरह का ही गीत आज की युवा पीढ़ी गाती है मुझे ये सब पता है क्यूंकि मै भी इसी कड़ी में शामिल हु मुझे भी इस प्रकार के शादी के गीत बहुत अच्छे लगते है !

 


कहीं न कहीं समाज की सच्चाइयों को इन गीतो के बोल व्यक्त करते है, आज की परिस्थितियां किसी से भी छिपी नहीं है और अगर हमारी पीढ़ी इसे अपने माध्यम से व्यक्त करती है तो हमें खुश होना चाहिए कि हम सजग है हमारे सामने जो हालात है उनसे हम वाकिफ है मतलब ये कहना गलत नहीं होगा कि बोल बदले है, शब्द बदले है अंदाज भी कहीं हद तक बदल गए है, लेकिन हमारी संस्कृति और सभ्यता नहीं बदली है वो आज भी हमारे दिलो में कायम है किसी न किसी रूप में जीवित है और ये भारत की या हमारी वो विरासत है जिसे हम चाहकर भी मिटा नहीं सकते और या कह ले कि आइना वही है बस बदला है तो उस आईने का स्वरुप और उसमे चेहरा देखना का अंदाज और उस आइना की जगह भी वही है ! बस जिस दीवाल पर है उसके रंग बेशक बदल गए है, या कह ले टेक्सचर हो गए है और लोगो की शक्ल भी वही है बस उन शक्लो के रूप अलग- अलग है ! इन संस्कृतयो के द्वारा हम गर्व से कहते है हमारा भारत महान ! गाँव का देश भारत और गावों की संस्कृति से सीख लेता हमारा भारत और इन्ही सीखो से उचाइयो की गरिमा को छूता मेरा भारत ! और ग्रामीण संस्कृति से हम अपनी शान को बरकरार रख सकते है, हमें सदा हमारी संस्कृति के प्रति प्रेम और अपना आदर भाव बनाये रखना चाहिए !

 


धन्यवाद !

 

 

 

रोहिणी विश्वनाथ तिवारी

 

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