Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

हौसला

 

इस जिंदगी की जंग कहीं बाकी है अभी,
कही बाकी है अभी !
इससे लड़ने का जज़्बा कहीं बाकी है अभी
कहीं बाकी है अभी !
राहो मे काटे बिछे है मगर,
पुष्प बनने की जंग,
कही बाकी है अभी, कही बाकी है अभी !
हमे अपनो ने जीने का ढंग है सिखाया,
फिर भी अपनो को अपना बनाने की जंग
कही बाकी है अभी, कहीं बाकी है अभी !
हसने की कला तो आती है हमे,
फिर भी मुस्कुराने की जंग
कही बाकी है अभी, कहीं बाकी है अभी !
मेरे दामन मे खुशिया भले हो कम,
फिर भी खुशिया लुटाने की जंग
कही बाकी है अभी, कही बाकी है अभी !
इस अंबर के आनन को जी भर के देखो,
इसकी रोशनी की दमक
कहीं बाकी है अभी, कहीं बाकी है अभी !
ये चंदा ये सूरज इन तारो को देखो,
इनकी चाँदनी की चमक
कहीं बाकी है अभी, कहीं बाकी है अभी !
कोई वन है नही कोई उपवन नही,
फिर भी गुलाबो के खिलने की जंग
कहीं बाकी है अभी, कही बाकी है अभी !
मेरा जीवन भले हो निराशा से भरा,
फिर भी आशा जगाने की जंग,
कहीं बाकी है अभी, कहीं बाकी है अभी !
मेरे हौसलो की उड़ान भले हो छोटी,
फिर भी उड़ने की चाहत की जंग,
कहीं बाकी है अभी, कहीं बाकी है अभी !
ना मै हारी कभी ना मै हारी अभी,
फिर भी जीतने की जंग,
कहीं बाकी है अभी, कही बाकी है अभी !

 

 

 

meri ye kavita mere swargiya pitaji ki yaad gari me

 

Rohini Tiwari

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