Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ख्वाब

 

 

मेरे मन मे विचारो का सैलाब उमड़ा,
मेरे दिल मे ख्वाबो का सैलाब उमड़ा !!
डरते डरते मैने एक ख्वाब देखा,
हसते हसते मैने एक ख्वाब देखा!
उन ख्वाबो मे मैने मेरे अपनो को देखा,
उन अपनो के बीच एक पराए को देखा !!
डरते हुए मैने उस पराए को देखा,
हस्ते हुए मैने अपनो को देखो !!
उन ख्वाबो मे मैने कुछ अजीब सा देखा,
कुछ अच्छा देखा, कुछ बुरा देखा!
उस अच्छे मे मैने मेरे अपनो को देखा,
उन बुराइयो मे मैने उस पराए को देखा !!
अपनो को मै पहचान थी गयी,
उस पराए को मै पहचान ना पाई !!
मेरे मन मे अब एक शंका सी आई,
उस शंका के साथ दुविधा सी आई !!
सोचु यही वो कौन था ,
जो ख्वाबो मे दिखा हसता था !
बड़ी कस्मकस सी थी, बड़ी चिंतित थी,
अपने ही सवालो मे उलझी थी !!
हसके मैने अपने आप से पूछा,
ए परछाई बता वो कौन था दूजा !!
अंदर की आवाज़ सुनाई सी दी,
मेरी हलचल की आहट सुनाई सी दी !!
वो पराया भी था कोई अपना मेरा,
वो सुनता था ख्वाबो का फसाना मेरा !!
वो पराया भी था कोई ख्वाब मेरा,
जिसे दिल से मैने अपना माना,
उन ख्वाबो मे देखा मैने अपना जहा,
उन ख्वाबो मे खुशिया भरी थी !!
ख्वाब बन गये मेरे सच्चे साथी,
जिन्हे पूरा कर जीती मेरी शंका हारी !!
मेरे ख्वाब है मेरे सच्चे साथी,
मेरी राहो मे संग संग चलेंगे यही !!

 

 

 

meri ye kavita mere swargiya pitaji ki yaad gari me

 

Rohini Tiwari

 

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