Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कितने अरमान इस दिल में छुपे

 

कितने अरमान इस दिल में छुपे ,
ख्वाबो और खयालो के रस्ते है सजे !
कौन सा ख्वाब इन आँखों में कब बस जाए ,
ख्यालो से कौन सा ख्याल कब टकरा जाए !
सपने हकीकत में कब तब्दील हो जाए ,
कहते और सुनते ये सफ़र कब कट जाए !
बेइंतहा मोहब्बत है इन खयालो से ,
एक नजरिया बना है इन ख्वाबो से !
चलते चलते राहो में युहीं,
तकदीर से कहीं टकरा गया कोई !
शायद मेरा मुकददर् था वो ,
हसकर जिसने पहचाना ख्वाबो को मेरे !
वो भी दीवाना हुआ मेरे ख्वाबो का,
कहने लगा इन ख्वाबो कि गहराइयो में !
चलता हु थोड़ी दूर तेरे साथ इन तन्हाई में,
मैंने कहा, तनहा नहीं हु मै,
ख्यालो और ख्वाबो कि परछाई है मेरे साथ !
मुकद्दर ने भी अपना सर झुकाया,
दी दुआ मुझे कहा सच होंगे तेरे ख्वाब !
अब मेरे ख्वाबो को उसने अपना ख्वाब बनाया,
बस अब मंजिल मेरी करीब है !
क्यूंकि मंजिल बनानेवाला,
वो राहगीर मेरा साथी है !!

 

 

 

रोहिणी विश्वनाथ तिवारी

 

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