Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मेरे पापा

 

 

मेरे पापा होते तो ऐसा होता,
मेरे पापा होते तो खुशियों का डेरा होता !!
अपनी दिल की हर बात खुलकर कहती,
अपने अधरों पर मुस्कान सदा ही रखती !!
अपने सपनो की दुनिया सजाती मै,
अपनी गुडिया को दुल्हन बनाती मै !!
पापा के सपने सच करने लिए,
पूरी दुनिया से अकेले लड़ जाती मै !!
मेरे पापा होते तो खुशिया होती,
कुछ सुनते मेरी कुछ सुनाते अपनी !!
पापा होते तो दुनिया कुछ अलग सी होती,
पापा होते तो एक हलचल सी होती !!
पापा होते तो मेरे गमो में रोते,
पापा होते तो मेरी खुशियों में हसते !!
पापा होते तो उनके कंधे पर सर रखकर रोती,
पापा होते तो उनसे लिपटकर हसती !!
बहते हुए अश्रु वो मेरे पोछते,
खिलखिलाती हसी देख वो खुश हो जाते !!
मेरी शादी में खुशिया जी भर के लुटाते,
बिदाई के समय मुझसे वो नज़रे चुराते,
फिर भी छुपकर वो सिसकिया भरते ,
यादो को मेरी अपने दिल में बसाते !!
दोनों हाथो को मेरे सर पर रखकर ,
जी भर के मुझे वो दुवाये देते !!
पापा नहीं तो कुछ भी नहीं,
मेरे जीवन में जैसे उजाला नहीं !!
पापा होते तो डाटते फटकारते ,
गलती करने पर प्यार से समझाते !!
पापा मेरे अब एक सपना हो गए,
असमानों में ग़ुम , कहीं तारा बन गए !!
फिर भी है यकीं वो देखते है मुझे,
वही से अपना आशीर्वाद देते है मुझे !!
मेरे पापा अब एक कहानी बन गए,
मेरी यादो में वो मेरी कविता बन गए !!
पापा होते तो न जाने क्या होता,
पापा होते तो खुशियों का मेला होता !!

 

 

meri ye kavita mere swargiya pitaji ki yaad gari me

 

Rohini Tiwari

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ