Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नन्ही कली

 

नन्ही सी प्यारी कली है खिली,
किसिके आँगन चौबारे मे है खिली !
उसके जीवन के रंग , उसके जीवन के सुंगंध,
उस प्यारे से आँगन मे फैली है कही !
उसी कली से किसीने हसके पूछा,
तेरा नाम बता दे ये गुड़िया !
उसने हसते हुए उत्तर है दिया,
मै हू नन्ही परी मेरा नाम है कली !
मै आयी हू आँगन महकाने ,
मै आयी हू प्यार बरसाने यहा !
अपने सुंगंधो से महका दु जहा ,
तेरे दुखो को पल मे हर लू !
तेरे दुख मे भी संग, तेरे सुख मे भी संग,
तेरे हर एक कदमो की आहट मे संग !
तू पहचान मुझे मै तेरी ही परछाई,
तेरे लिए यहा मै हसके आई !
तेरे दुखो को मुझसे बाट ज़रा ,
तेरे सुखो को मुझसे बोल ज़रा !
मेरा बचपन है आज मै हू नन्ही कली,
कल बड़ी हो महकाउ तेरे आँगन की गली !

माना की भवरे बहुत है मगर ,
तू संग है तो किस बात का है डर !
कहे तो खिलना छोड़ दु ,
तेरी खुशियो के लिए जीना छोड़ दु !
फिर भी ये जीवन् है सुंदर बड़ा,
मुझे जीना है करना है काम बड़ा !
तेरे संग संग रहू तेरे संग संग चलु,
तेरी विपदाओ को सदा हरती रहू
कर आभास तू कर विश्वास तू,
है ये वादा मेरा ना निराश होगा तू !
तेरे लिए सदा ही खिल जाउगी ,
खिलकर तेरे लिए ही मुरझा जाउगी !

 

 

meri ye kavita mere swargiya pitaji ki yaad gari me

 

Rohini Tiwari

 

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