Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तजुर्बा

 

 

क्यों डरे की अगले पल क्या होगा ,
क्यों सोचे की हर वक़्त बुरा होगा ,
कुछ न भी मिले इन मंजिलो से मगर,
तजुर्बा तो हमारा नया होगा !!
क्यों पढ़े कहानी सफलताओ की हम,
क्यों न पढ़े कहानी असफलताओ की हम ,
कुछ न भी मिले इन कहानियो से मगर,
तजुर्बा तो हमारा नया होगा !!
क्यों खुशियों के बारे में हमेशा सोचे हम,
क्यों न दुखो को ही अपना बनाले हम,
कुछ न भी मिले इन दुखो से मगर,
तजुर्बा तो हमारा नया होगा !!
क्यों खूबियों को हमेशा ढूंढें हम,
क्यों न खामियों को ही अपना बनाले हम,
कुछ न भी मिले इन खामियों से मगर,
तजुर्बा तो हमारा नया होगा !!
क्यों अमीरी के बारे में सोचे हम,
क्यों न गरीबी को जी भर के जी ले हम,
कुछ न भी मिले इन गरीबी से मगर,
तजुर्बा तो हमारा नया होगा !!
क्यों सागर में मोती तराशे हम,
क्यों न पत्थर को ही मोती बना ले हम,
कुछ न भी मिले इन पत्थरो से मगर,
तजुर्बा तो हमारा नया होगा !!
क्यों सुगंधों की चाह रखते है हम,
क्यों न दुर्गंधो की ही आदत बना ले हम,
कुछ न भी मिले इन दुर्गंधो से मगर,
तजुर्बा तो हमारा नया होगा !!
क्यों रोशनी की चाहत को रखते हम,
क्यों न तिमिरो में ही जी भर जी ले हम,
कुछ न भी मिले इन तिमिरो से मगर ,
तर्जुबा तो हमारा नया होगा !!
क्यों अपनों पर ही प्यार लुटाते है हम,
क्यों न परायो पर भी प्यार लुटाये हम ,
कुछ न भी मिले इन परायो से मगर,
तजुर्बा तो हमारा नया होगा !!
क्यों मुस्कान की सदा चाहत रखते है हम ,
क्यों न अश्को को ही मुस्कान बना ले हम,
कुछ न भी मिले इन अश्को से मगर,
तर्जुबा तो हमारा नया होगा !!

 

 

 

 

meri ye kavita mere swargiya pitaji ki yaad gari me

 

Rohini Tiwari

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